Prada ने की कोल्हापुरी चप्पल की नकल, नहीं दिया भारत को क्रेडिट! मच गया बवाल

Prada द्वारा कोल्हापुरी चप्पल की डिज़ाइन की चोरी पर बना थंबनेल जिसमें भारत और इटली के झंडे, PRADA लोगो और Kolhapuri चप्पल दिख रही है।

 🇮🇹👡 इटली के फैशन ब्रांड Prada ने की कोल्हापुरी चप्पल की नकल! भारत को नहीं दिया क्रेडिट 😡


फैशन की दुनिया में भारत की पारंपरिक डिज़ाइनों की चोरी कोई नई बात नहीं है, लेकिन इस बार मामला कुछ ज़्यादा ही गर्म हो गया जब इटली के मशहूर लग्ज़री ब्रांड Prada ने कोल्हापुरी चप्पल जैसी हूबहू डिज़ाइन पेश की — बिना भारत या महाराष्ट्र को कोई श्रेय दिए।

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💥 क्या है पूरा मामला?


Prada ने हाल ही में अपने नए फुटवियर कलेक्शन में एक चप्पल लॉन्च की है जो शत-प्रतिशत कोल्हापुरी चप्पल की तरह दिखती है — वही चौड़ी पट्टी, वही कट, वही फिनिशिंग — लेकिन न तो प्रोडक्ट डिस्क्रिप्शन में 'Kolhapuri' शब्द का ज़िक्र है, और न ही भारत का।


🔍 कोल्हापुरी चप्पल क्या है?


कोल्हापुरी चप्पल भारत की पारंपरिक दस्तकारी का एक प्रतीक है।


यह खासतौर पर महाराष्ट्र के कोल्हापुर से आती है।


इसे चमड़े से हाथ से तैयार किया जाता है।


2019 में इसे Geographical Indication (GI) टैग भी मिल चुका है।

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😡 सोशल मीडिया पर बवाल क्यों मचा?


Prada की नई चप्पल जैसे ही सोशल मीडिया पर आई, भारतीय फैशन एक्सपर्ट्स और आम लोगों ने इसकी आलोचना शुरू कर दी। कई यूज़र्स ने कहा:


> "कोल्हापुरी को इंटरनेशनल बना दिया, लेकिन हमारे कारीगरों का नाम भी नहीं लिया!"


> "ये सीधा सांस्कृतिक चोरी (Cultural Appropriation) है!"

💬 ट्विटर, इंस्टाग्राम और लिंक्डइन पर हजारों पोस्ट वायरल हो गए।

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🔎 Prada को क्यों मानना पड़ा सच?


विवाद इतना बढ़ गया कि फैशन एक्सपर्ट्स और कुछ भारतीय पत्रकारों ने इसकी असली जड़ को उजागर कर दिया।


इसके बाद Prada को अपनी वेबसाइट पर डिज़ाइन का सोर्स इंडिया से जुड़ा हुआ मानना पड़ा।


हालांकि अब तक कोई आधिकारिक माफ़ी या बयान नहीं आया है।

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🇮🇳 भारत की पारंपरिक डिज़ाइनों की चोरी का यह पहला मामला नहीं


यह पहली बार नहीं है जब विदेशी ब्रांड्स ने भारतीय डिज़ाइनों से “प्रेरणा” ली हो।


साल ब्रांड चोरी किया डिज़ाइन


2017 Zara बंजारा मिरर वर्क

2019 Dior बंधेज और चंदेरी

2021 Louis Vuitton कांचीपुरम पैटर्न

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🧵 सवाल यह है: क्या कभी हमारे कारीगरों को मिलेगा असली सम्मान?


भारत के हजारों शिल्पकार और दस्तकार आज भी बिना किसी पहचान के काम कर रहे हैं, जबकि उनकी मेहनत से बने डिज़ाइन दुनिया की बड़ी कंपनियों की कमाई का ज़रिया बनते हैं।


✅ क्या होना चाहिए?


GI टैग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और मज़बूत करना चाहिए।


भारत सरकार को Cultural Appropriation पर सख्त रुख अपनाना चाहिए।


कंपनियों को हर डिज़ाइन के पीछे के लोकल क्राफ्ट्समैन को श्रेय देना अनिवार्य होना चाहिए।

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📢 निष्कर्ष


Prada का यह कदम ना सिर्फ़ भारत की सांस्कृतिक विरासत का अपमान है, बल्कि यह एक बार फिर दिखाता है कि वैश्विक फैशन इंडस्ट्री में पारंपरिक भारतीय डिज़ाइनों की पहचान और सम्मान की कितनी कमी है।


🛑 अब ज़रूरत है कि हम अपने कारीगरों की आवाज़ बनें और ऐसी चोरी पर खुलकर सवाल उठाएं।

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